श्वास रोग को ही अस्थमा रोग भी कहा जाता है. श्वास रोग in english डिसनिया, बोंयिल होता है. Asthma in hindi दमा या श्वास रोग होता है. क्यों होता है अचानक से श्वसन रोग, आखिर श्वास रोग की दवा क्या है? श्वास रोग का आयुर्वेदिक इलाज कैसे करे आदि जैसे कई सवाल रोगी के मन मे आते है. आज के समय में अस्थमा रोग तेजी से स्त्री-पुरुष के साथ-साथ बच्चों को भी शिकार बना रहा है.
अस्थमा का आयुर्वेदिक इलाज किया जा सकता है लेकिन इसकी सही जानकारी पहले प्राप्त कर लेनी चाहिए. अस्थमा यह रोग धुंआ, धूल, दूषित गैस आदि से होने वाला रोग है. जब लोगों के शरीर में यह पहुंचती है तो यह शरीर के फेफड़ों को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाती है. प्रदूषित वातावरण में अधिक रहने से श्वास रोग की उत्पत्ति होती है इस बात का ख्याल रखे.
अस्थमा रोग क्या है ! दमा क्या है ! श्वास रोग की पूरी जानकारी.
सांस लेने में दिक्कत होना, श्वास लेने मे कठिनाई महसूस होने को ही श्वास रोग कहा जाता है. अस्थमा रोग की अवस्था में रोगी को बार-बार सांस बाहर छोड़ते समय काफी जोर लगाना पड़ता है. दम रोग में कभी-कभी श्वांस क्रिया चलते-चलते अचानक रुक जाती है जिसे श्वासावरोध या दम घुटना भी कहते हैं. Asthma Ka Ilaj समय रहते हो जाये तो यह बेहद अच्छा होगा नही तो आगे चलकर भयंकर रूप ले सकता है.
अलर्जीजन्य श्वास के लक्षण शुरुवात मे हमें ज्यादा महसूस नही होते है लेकिन यह आगे चलकर काफी भयंकर रूप ले लेते है. श्वांस रोग और दमा रोग दोनों एक ही लक्षण होते हैं. फेफड़ों की नलियों की छोटी-छोटी पेशियों में जब अकड़नयुक्त संकोचन उत्पन्न होता है तो फेफड़ा सांस द्वारा लिए गए श्वास को पूरी अन्दर पचा नहीं पाता है जिससे रोगी को पूरा श्वास खींचे बिना ही श्वास छोड़ने को मजबूर होन पढ़ता है. इसी स्थिति को अस्थमा रोग कहते हैं.
यह श्वसन संस्थान का एक भयंकर रोग है। इस रोग में सांस नली में सूजन या उसमें कफ जमा हो जाने के कारण सांस लेने में बहुत अधिक कठिनाई होती है। दमा का दौरा अधिकतर सुबह के समय ही पड़ता है। यह अत्यंत कष्टकारी है जो आसानी से ठीक नहीं होता है।
फेफड़ो को हवा पहुँचाने वाली नलिया छोटी छोटी मांसपेशियों द्वारा ढकी हुई होती है. इन मांसपेशियों में आक्षेप होने की वजह से जो साँस लेने में तकलीफ होती है और गला साय साय करता है, उसको श्वास, दमा, Asthama कहते है. छाती की बिमारी के कारण जो साँस लेने में परेशानी होती है उसे दमा नही कहा जाता दमा से दम तो नही निकलता मगर दुःख दम निकलने से कम नही होता.
अस्थमा का रोगी काफी दिन जीता है. अर्थात दीर्घायु होता है. दमे का दौरा होने का कोई कारन नही है. कोई रोगी गर्म ऋतु में अच्छे रहते है और शीत ऋतु में ही श्वास रोग से बहुत दुःख पाते है.
इसके विपरीत बहुत से रोगी गर्म ऋतु में ही दमा से कष्ट उठाते है और शीतकाल में एकदम सही रहते है. सब ऋतुओं में निरतंर दुःख पाने वाले रोगी भी बहुत पाये जाते है. वर्षा ऋतु में तो अस्थमा के सभी रोगीओ को अधिक दुःख होता है.
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अस्थमा रोग रोग जब नया होता है तब दमा का वेग काफी काल पर होता है, परंतु ज्यो ज्यो रोग पुराना होता है त्यों त्यों इसका का वेग जल्दी जल्दी होने लगता है. यहा तक की अंत मे दमा का दौर कुछ कुछ रोजाना बना ही रहता है.
दौरे के वक्त साँस लेने में तकलीफ गले में सांय सांय होना छाती पर वजन सा महसूस होना, श्वास रोग के साथ साथ पेट का फूलना, बदहजमी, जुकाम का जल्दी जल्दी होना, सर का जकड़ना आदि लक्षण वर्तमान मे होते रहते है.
रोगी हवा पाने की उम्मीद से दोनों कंधों को ऊँचा करता है. खांसते खाँसते बड़े कष्ट से जरा सा कच्चा कफ निकलता है,जिससे कुछ विश्राम मालूम होता है. जो कारन खांसी उतपन्न करने के लिये बतलाए गये है, वे ही कारन अस्थमा रोग को भी पैदा कर देते है. खांसी की चिकित्सा न होने की वजह से जब वह पुरानी और स्थायी हो जाती है, तब वही दमा को उत्पन्न कर देती है.
खांसी के कारणो के अतिरिक्त माता पिता को दमा होना, खून के श्वेताणुवो का बढ़ना, तीव्र गंध सूंघना आदि कारणों से भी अस्थमा उत्पन्न होता है.
श्वास रोग के लक्षण ! दमा रोग के लक्षण ! अस्थमा रोग के लक्षण क्या है?
अस्थमा (दमा) रोग से ग्रस्त व्यक्ति में कुछ निचे दिए गए लक्षण दिखाई देंगे जो एक दिन एक से कई बार से लेकर एक सप्ताह में कुछ बार तक दिखाई दे सकते हैं.
- घरघराहट.
श्वास रोग मे तेज घबराहट मे एक सीटी बजने की आवाज जैसी होती है. जब भी आप साँस लेते हैं घबराहट सी होने लगती है.
- खांसी.
खासी का आने का कोई समय नही होगा कभी भी आ सकती है. लेकिन खांसी अक्सर रात में और सुबह के समय बद से बदतर हो जाती है. तेज खासी आने के कारणसोने में कठिनाई होती है. इतना ही नही खांसी के साथ बलगम भी निकल सकता है.
- पीनस.
अस्थमा रोग में हवा श्वास रोगी के गले को जकड़ लेती है और गले में जमा कफ ऊपर की ओर उठकर श्वांस नली में विपरीत दिशा में चढ़ता जाता है. इस प्रक्रिया होते समय पीनस (तमस रोग) रोग उत्पन्न होने की पूरी संभावना होती है. पीनस रोग होने पर गले में घड़घड़ाहट की आवाज के साथ सांस लेने मे और छोड़ने पर काफी अधिक पीड़ा होती है.
अस्थमा रोग में खासी, भय, भ्रम, कष्ट के साथ Cough (कफ) का निकलना, बोलने में कष्ट होना, अनिद्रा आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं. मुख का सूख जाना, चेतना का कम होना और सिर दर्द करना यह इस रोग के लक्षण हैं. यह रोग बरसात में भीगने या ठंड़ लगने से भी हो सकता है. तमस रोग में लेटने पर कष्ट तथा बैठने भर से आराम का अनुभव होता है.
- छाती में जकड़न.
कभी-कभी अस्थमा के रोगी को अपने छाती क्षेत्र में एक निचोड़ने / कुचलने की संवेदना की पीड़ा का अनुभव होगा.
- सांस की कमी.
अच्छा मौसम, खुली हवा होने के बावजूद भी बिच-बिच मे श्वास रोगी को सांस की कमी महसूस होगी. यह दमा के रोगी मे काफी ज्यादा पाया जाने वाला लक्षण है.
इस प्रकार से यह कुछ Asthama रोग के लक्षण थे. चलिए अब देखते है अस्थमा ट्रीटमेंट का आयुर्वेदिक इलाज जो आपको सही जानकारी देगा.
दमा /श्वास /Asthama /अस्थमा रोग से सावधानिया.
Asthma Treatment In Ayurveda In Hindi जानने से पहले आपको यह भी जान लेना चाहिए की आखिर दमा के रोगी को कौन-कौनसी सावधानिया रखनी चाहिए.
- श्वास रोग के रोगियों को केला नही के बराबर ही खाना चाहिए. आपकी जानकारी के लिए जान लीजिये की दमे के रोग में केले से एलर्जी होने की पूरी संभावना होती है.
- अस्थमा रोग से पीड़ित व्यक्तियों को तरबूज का रस नहीं पीना चाहिए या फिर खाना भी नही चाहिए.
- दमा से बचने के लिए पेट को साफ रखना चाहिए. हमेशा इस चीज का ख़याल रखे की पेट गड़बड़ ना होने पाए.
- दमा के रोगी को कब्ज नहीं होने देना चाहिए.
- ठंड के मौसम मे ठंड से बचे रहे.
- देर से पचने वाली गरिष्ठ चीजों का सेवन कभी न करें.
- शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले, शीघ्र पचने वाला तथा कम मात्रा में लेना चाहिए।.
- हमेशा गर्म पानी पीनेकी आदत डालिए.
- शुद्ध हवा में घूमने जाएं, शुद्ध हवा बेहद अच्छी होती है.
- धूम्रपान न करें क्योंकि इसके धुएं से रोगी दौरा पड़ सकता है.
- प्रदूषण से दूर रहे खासतौर से Industrial Smoke से.
- धूल-धुंए की एलर्जी, सर्दी एवं वायरस से बचे.
- मनोविकार, तनाव, कीटनाशक दवाओं, रंग-रोगन और लकड़ी के बुरादे से बचे.
- मूंगफली, चाकलेट से से दुरी बनाकर ही रखिये तो अच्छा है.
- फास्टफूड/ड्रायफ़ूड का सेवन करने से बचिए.
- अपने वजन को कम करें और नियमित रूप से योगाभ्यास एवं कसरत करना चाहिए.
- बिस्तर पर पूर्ण आराम एवं मुंह के द्वारा धीरे-धीरे सांस लेना चाहिए इससे श्वास रोग मे आराम मिलता है.
- नियमपूर्वक कुछ महीनों तक लगातार भोजन करने से अस्थमा नष्ट हो जाता है.
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श्वास रोग की चिकित्सा ! अस्थमा रोग की चिकित्सा ! श्वास रोग का घरेलु उपचार ! श्वास रोग का आयुर्वेदिक उपचार.
श्वास फूलना अक्सर अस्थमा रोग मे पाया जाता है. इसीलिए हमारे पाठको के लिए 20 घरेलु श्वास रोग के उपचार जानकारी देने जा रहे है जिससे घर बैठे ही दमा (अस्थमा) जैसे रोगों पर शिकंजा कसा जा सके. तो चलिए देखते है क्या है घरेलु श्वास रोग की चिकित्सा, क्या है Dama Ka Ilaj.
1.छोटी इलायची एक ग्राम और मालकांगनी एक ग्राम दोनों को चबाय ही निगलने से 11 दिन में दमा ख़त्म हो जाता है.
2.पीपर और पोहकरमूल शहद में चाटने से श्वास रोग एकदम चल जाता है.
3.कैथ का रस शहद में मिलाकर चाटने से श्वास रोग एकदम चला जाता है. यह अस्थमा का घरेलू उपचार सबसे ज्यादा प्रचलित है.
4.कैथ के रस में आंवले , पीर और सेंधा नमक मिलाकर चाटने से दमा रोग समाप्त हो जाता है.
5.गेरु, रसौत और छोटी पीपर शहद में मिलाकर चाटने से श्वास रोग मिट जाता है.
6.कचूर, पोहकरमूल और आँवला शहद में मिलाकर चाटने से अस्थमा रोग समाप्त हो जाता है.
7.गाय, हाथी, घोडा, सुवर, ऊंट, गधा और बकरा इन जानवरों की विष्ठा में से किसी एक की विष्ठा का रस निचोड़कर और शहद मिलाकर चाटने से श्वास रोग चला जाता है, जिसके गले और छाती में कफ बहुत ही ज्यादा हो, उसके लिये यह नुस्खा उत्तम है.
8.नारंगी को शहद और घी में चाटने से श्वास जाता रहता है.
9.शहद मिलाकर जौ की धानी चबाने से श्वास रोग को आराम हो जाता है.
10.निम् के बीज और कदम के बीज पीसकर शहद में मिलाकर चाटने औऱ उपर से चावलों का भिगोया पानी पीने से श्वास रोग समाप्त हो जाता है.
11.बड़ी सीपी को जलाकर राख कर ले.फिर उसे अदरक के रस में खरल करके चने के समान गोलियां बनाकर सुबह शाम एक एक गोली खाने से अस्थमा का इलाज हो जाता है.
12.आक का पत्ता एक और काली मिर्च 25 दाने इनको पीसकर उड़द समान गोलियां बना लें. सुबह सवेरे जवान को गोली और बालक को 1 गोली देने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है.
13.आग पर फुलाई हुई फिटकरी, 20 ग्राम और मिश्री 20 ग्राम दोनों को पीसकर रख ले.1 या 2 ग्राम रोज खाने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है.
14.कुलची,सौंठ, कटेरी,अडूसा और पोहकरमूल को 20 ग्राम लेकर काढ़ा बना ले.इसके पीने से श्वास और हिचकी नष्ट हो जाते है.
15.परवल के पत्ते, सहमना या सुखी मूली इन तीनो में से किसी एक के काढ़े से बनाया हुवा यूप हिचकी और श्वास रोग को नष्ट करता है.
16.गाय के गोबर का रस या घोड़े की लीद का रस शहद और पीपर मिलाकर चाटने से श्वास रोग औऱ खांसी में आराम हो जाता है. अस्थमा का उपचार का यह भी काफी उपयोगी मंत्र है.
17.अलसी 3 ग्राम और इस्पन्द 3 ग्राम पीसकर 12 ग्राम शहद मे मिलाकर हर दिन चाटने से छाती और गले का कफ नष्ट होकर दमा में आराम हो जाता है.
18. 36 ग्राम भुना हुवा सुहागा 48 ग्राम शहद में मिलाकर रख दे इसमें से 3 ग्राम दवा रात को सोते समय चाटने से 15 दिन में श्वास रोग जाता रहता है.
19.कौंच के बीजों का चूर्ण सवेरे ही ना बराबर ले और शहद में चाटने से श्वास रोग आराम हो जाता है.
20.कायफल की छाल के रस में राई मिलाकर खाने से श्वास रोग में आराम हो जाता है.
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तो यह थे कुछ 20 अस्थमा का सफल उपचार के घरेलु तरीके. आशा करते है अस्थमा ट्रीटमेंट इन हिंदी का यह आर्टिकल आपको अवश्य पसंद आया होगा. अगर श्वास रोग से जुडा कोई जटिल रोग आपको है तो निचे कमेंट बॉक्स मे जरुर बताये की आपने उसे कम करने के लिए क्या उपाय किये है. दमा रोग की आयुर्वेदिक दवा जो आप हमारे साथ शेयर करना चाहते है तो हमें जरुर बताये जिससे सभी लोगो को फायदा हो सके. जल्दी से इस आर्टिकल को सभी लोगो तक सोशल मीडिया मे शेयर करके अपना योगदान जरुर दे.
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